आखिर हुई 11 नए जीएम्स की पोस्टिंग
रेलवे बोर्ड के बाबुओं को कब आएगी सदबुद्धि
नयी दिल्ली : आखिर करीब 10 महीने के बाद 13 जीएम्स की पोस्टिंग्स के आदेश रेलवे बोर्ड ने बुधवार, 9 नवम्बर की शाम करीब 6 बजे जारी कर दिए. इस प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री ने मंगलवार, 8 नवम्बर को सुबह 11 बजे अपने हस्ताक्षर कर दिए थे. बुधवार, 9 नवम्बर को दोपहर बाद डीओपीटी से बोर्ड पहुंची इस फ़ाइल पर आनन्-फानन कार्रवाई करते हुए बोर्ड ने तुरंत सभी 13 जीएम्स के पोस्टिंग आर्डर सिर्फ इसलिए जारी कर दिए, चूँकि अगले दिन गुरुवार, 10 नवम्बर को गुरु नानक जयंती की राष्ट्रीय छुट्टी थी, इसलिए किसी संभावित अधिकारी द्वारा इसको कोर्ट में चुनौती देकर स्टे आर्डर ले लिए जाने की भी बोर्ड को कोई आशंका नहीं थी. इसके अलावा यहाँ यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि ममता बनर्जी की ब्लैकमेलिंग के सामने एक बार फिर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हथियार डाल दिए. वरना कोई कारण नहीं था कि करीब एक महीने पहले लिए गए अपने ही निर्णय को नजरअंदाज करते हुए वह इन पोस्टिंग प्रस्तावों पर इस तरह हड़बड़ी में हस्ताक्षर कर देते? उल्लेखनीय है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि पर सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की ममता बनर्जी की धमकी प्रधानमंत्री द्वारा जीएम्स की पोस्टिंग के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करते ही 'आगे से उनसे पूछे बिना कीमतें नहीं बढाए जाने' के सुर में बदल गई. बहरहाल, आर्डर मिलते ही सभी 13 अधिकारियों ने अपना-अपना पदभार संभाल लिया है. जैसा कि 'रेलवे समाचार' ने पहले प्रकाशित किया था, दो लेटरल ट्रांसफ़र के साथ नए पदस्थ किए गए जीएम्स के नाम इस प्रकार हैं..
1. श्री राजीव भार्गव, आरडब्ल्यूएफ, बंगलौर. 2. श्री अभय खन्ना, आईसीएफ, पेरम्बूर. 3. श्री बी. एन. राजशेखर, आरसीएफ, कपूरथला. 4. श्री सुबोध कुमार जैन, म. रे., सीएसटी, मुंबई. 5. श्री अरुणेन्द्र कुमार, द. पू. म. रे., बिलासपुर. 6. श्री महेश कुमार, प. रे., चर्चगेट मुंबई. 7. श्री ए. के. वर्मा, द. पू. रे., गार्डेन रीच, कोलकाता. 8. श्री जी. सी. अग्रवाल, पू. रे., फेयरली प्लेस, कोलकाता. 9. श्री एस. वी. आर्य, प. म. रे., जबलपुर. 10. श्री इन्द्र घोष, पू. त. रे., भुवनेश्वर. 11. श्री जगदेव कालिया, आरई/कोर, इलाहबाद. 12. श्री वरुण बर्थुआर, पू. रे. से पू. म. रे., हाजीपुर. 13. श्री जी. एन. अस्थाना, प. म. रे. से द. म. रे., सिकंदराबाद.
प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री राजीव भार्गव ने आरडब्ल्यूएफ, बंगलौर में ज्वाइन नहीं किया है. ज्ञातव्य है की 7 अक्तूबर को प्रधानमंत्री ने श्री भार्गव को वर्ष 2008-09 के जीएम पैनल में पुनर्स्थापित करते हुए उन्हें ओपन लाइन के लिए फिट कर दिया था, जिसके अनुरूप उनकी पोस्टिंग कम से कम ओपन लाइन जीएम के तौर पर होनी चाहिए थी. मगर ममता बनर्जी की ब्लैकमेलिंग के सामने मजबूर प्रधानमंत्री ने अपने ही निर्णय को नजरअंदाज करते हुए बोर्ड द्वारा भेजे गए पोस्टिंग प्रस्ताव पर ज्यों का त्यों हस्ताक्षर कर दिया. जबकि उन्होंने रेलमंत्री के निर्णय को ओवर रूल करते हुए अपना यह निर्णय लिया था. ऐसे सिद्धांतविहीन प्रधानमंत्री से क्या उम्मीद की जा सकती है जो अपनी पार्टी की राजनीतिक मजबूरियों के सामने नतमस्तक होकर अपने द्वारा ही किए गए न्याय को अन्याय में बदल देने में भी कोई देर नहीं लगाता है? ऐसे प्रधानमंत्री से सीआरबी और डीपीसी तथा एसीसी के खिलाफ कोई स्ट्रक्चर पास किए जाने और उन्हें टेकअप किए जाने की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है? इसके साथ ही जो रेलमंत्री बार-बार एक ही गलती को दोहरा रहा हो, उससे भी किसी न्याय की अपेक्षा नहीं की जा सकती है.
इसके अलावा जिन विनय मित्तल को सीआरबी बनाने का प्रस्ताव तक रेलवे बोर्ड ने नहीं भेजा था, नियम के हिसाब से कैबिनेट सेक्रेटरी ने उन्हें सीआरबी बनाया, मगर अब वह भी कैबिनेट सेक्रेटरी की बात नहीं मान रहे हैं और उन्हें धोखा देने पर उतर आए हैं. ऐसा लगता है कि खैरात में मिली सीआरबी की पोस्ट पर विराजमान श्री मित्तल एक मामूली क्लर्क या खलासी बनकर रह गए हैं, क्योंकि उन्हें यह भी समझ में नहीं आता है कि नियमानुसार जूनियर को ओपन लाइन और सीनियर को प्रोडक्शन यूनिट में नहीं भेजा जा सकता है. हालाँकि ये बात अलग है कि पिछले तीन साल से रेलवे बोर्ड और भारतीय रेल में कोई नियम-नीति रह ही नहीं गई है. तथापि इस मसले का हल वर्ष 2008-09 के पैनल से पदस्थ हुए सबसे जूनियर जीएम को एक महीने की छुट्टी पर भेजकर उसकी जगह श्री भार्गव को एक महीने के लिए पदस्थ करके सामान्य तौर पर किया जा सकता था, जैसा कि अधिकारियों को एडजस्ट करने के लिए अब अक्सर होता रहता है.. इसके बाद श्री भार्गव को अन्य किसी रेलवे में लेटरल ट्रान्सफर करके सारी स्थिति को सामान्य किया जा सकता था. मगर ऐसा तो तब होता है जब रेलवे बोर्ड में स्वस्थ मानसिकता के बाबू लोग बैठे हों, जबकि यहाँ तो वे अब अहसान फरामोशी पर उतारू हो गए हैं.
रेलवे बोर्ड द्वारा मीडिया को जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में जीएम्स की पोस्टिंग करवाने का श्रेय रेलमंत्री श्री दिनेश त्रिवेदी को दिया गया है. अब यह प्रेस विज्ञप्ति जारी करने वाले 'चारणों' को कौन समझाए कि उनको यह श्रेय तो तब होता जब चार महीने पहले रेलमंत्री का पद भार सँभालने के फ़ौरन बाद उन्होंने जीएम्स की यह पोस्टिंग्स करवा दी होतीं. वस्तुस्थिति यह है कि श्री त्रिवेदी पर्याप्त रूप से काबिल होने के बावजूद ममता बनर्जी की छाया मात्र बनकर रह गए हैं, क्योंकि सच्चाई यह है कि आज भी रेल सम्बन्धी सारे फैसले ममता बनर्जी ही ले रही हैं. स्थिति यह है कि पच्शिम बंगाल में दर्जनों गाड़ियों का उदघाटन रोज़ हो रहा है, मगर रेलमंत्री वहां मंच पर सिर्फ एक शो-पीस की तरह उपस्थित होते हैं, जबकि गाड़ियों का उदघाटन और भाषण ममता बनर्जी करती हैं. तभी तो भारतीय रेल मरणासन्न स्थिति में पहुँच रही है. इसीलिए तो अब सारे रेल अधिकारी और कर्मचारीगण ईश्वर से यह प्रार्थना करने लगे हैं कि वह रेलवे बोर्ड के बाबुओं को थोड़ी सद्बुद्धि दे, जिससे वे अपने राजनीतिक स्वार्थ छोड़कर रेल को बचाने पर अपनी सारी काबिलियत का इस्तेमाल कर सकें.
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