'विषधर' का प्रेत चला रहा है रेल मंत्रालय..
- हाई पावर कमेटी में आने का हौव्वा बनाकर अपनी अहमियत बरकरार रखने का प्रयास कर रहे हैं विषधर उर्फ़ विवेक सहाय
- सीआरबी बनवाने की अहसानमंदी दिखाकर विनय मित्तल से अपने अधूरे कार्य करवाने का प्रयास कर रहे हैं विवेक सहाय
- अति महत्वपूर्ण और गोपनीय फाइलें बंगले पर मंगाकर देख रहे हैं विवेक सहाय
- वी. एन. त्रिपाठी को आवंटित बंगला अपने नाम आवंटित करवाया विवेक सहाय ने
- पद पर रहते निजी कंपनियों के जो काम नहीं कर पाए थे, उन्हें अब अपने अहसान तले दबे मित्तल से करवाने का प्रयास कर रहे हैं विवेक सहाय
जैसी कि विवेक सहाय की 'फितरत' रही है, उसके अनुसार उनका 'विषधर' नामकरण 'रेलवे समाचार' ने नहीं, बल्कि उनके एक 'अति प्रिय' रहे रेल अधिकारी ने ही काफी पहले किया था. अब यह बात अलग है कि 'रेलवे समाचार' ने इस नाम को इससे पहले उनके लिए बहुत ज्यादा उपयुक्त नहीं मना था, मगर पिछले दो-तीन वर्षों में उनके जो 'कृत्य' सामने आये हैं, उनसे अब लगने लगा है कि वास्तव में उनका यह नामकरण एकदम उचित हुआ था. रेल सेवा में रहते, खासतौर पर जीएम/उ.म.रे., जीएम/उ.रे., एमटी/रे.बो. और सीआरबी के पदों पर रहते, विवेक सहाय का जो 'चरित्र' उभर कर सबके सामने आया और जिस तरह इन पदों को हथियाने के लिए जोड़-तोड़ एवं तिकड़मबाजी उन्होंने की तथा जिस तरह उन्होंने पूरी रेल व्यवस्था को नष्ट - भ्रष्ट किया, अपने विरोधियों को उत्पीड़ित एवं अपने चहेतों को उपकृत किया, उस परिप्रेक्ष्य में उनका यह नामकरण बिलकुल सटीक हुआ है.
अब रिटायर होने के बाद भी उनका यह 'चरित्र' कायम है. अब भी वह खुलेआम यह कहते फिर रहे हैं कि रेलवे बोर्ड का रिमोट तो मेरे हाथ में है. यह बिलकुल संभव है कि ऐसा उन्होंने अवश्य कहा होगा, बताई गई इस बात पर भरोसा किया जा सकता है, क्योंकि जब यह महाकाईयां और बड़बोला आदमी सचिन तेंदुलकर से अपनी तुलना करके अपने मुंह मियां मिट्ठू बन सकता है, तो यह अपने से जूनियर अधिकारियों के सामने उनको अपनी दहशत में बनाये रखने हेतु अपनी 'ऊँची' करने के लिए कुछ भी हांक सकता है. विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि विषधर एक बड़ी विषैली हंसी हँसते हुए कह रहे हैं कि निजी कंपनियों के जो काम वह पद पर रहते नहीं कर पाए थे, वे सब अब नए सीआरबी से करवाएँगे. सूत्रों का कहना है कि विषैली हंसी की इसी झोंक में विषधर यह भी कह जाते हैं कि मंत्री को पटखनी देकर विनय मित्तल को सीआरबी बनवाया है, तभी तो वह अब मेरे सामने अपनी दुम हिला रहे हैं..
विषधर यह भी दावा करते फिर रहे हैं की मलवां में हुई कालका मेल की दुर्घटना के बाद सारा बैकडोर गाइडेंस तो उन्हीं का था.. वह ये भी दावा कर रहे हैं कि दुर्घटना से मंत्री के नाराज होने के बाद भी उन्होंने मित्तल को बचा लिया, और इस प्रकार उन्होंने मित्तल को और ज्यादा अपने अहसान के नीचे दबा लिया है. सूत्रों का कहना है कि 'हालाँकि मित्तल साहब भी अभी विषधर के सामने दंडवत हो रहे हैं..जिससे विषधर को ऐसे घटिया दावे करने का मौका मिल रहा है.' सूत्रों का कहना है कि यह बात तो सही है कि मित्तल साब विषधर की हर सही - गलत बात या सलाह पर आँख मूंद कर अमल कर रहे हैं.. मगर उनका यह भी कहना है कि यह सब जानते हैं कि मित्तल साब बेवकूफ नहीं हैं, यह बात अलग है कि उनके पास 'शकुनि बुद्धि' और 'जहरीला मानस' नहीं है..क्योंकि इन सबका ठेका तो विषधर के पास बहुत पहले से है और अब तो विषधर ने इन सबका पेटेंट भी अपने नाम करा लिया है..
सूत्रों का कहना है कि रिटायर्मेंट के बाद भी चतुर्थ श्रेणी स्टाफ की पूरी फ़ौज अभी - भी रेलवे के पूरे वेतन - भत्तों के साथ विषधर के बंगले पर काम कर रही है. यह सब मित्तल साब की मेहरबानी से ही हो रहा है क्योंकि वह विषधर के अहसानमंद हैं..और इससे उन्हें मना नहीं कर पा रहे हैं. सूत्रों कहना है कि इसी वजह से विषधर द्वारा कई गोपनीय फाइलें बंगले पर अभी-भी मंगाई जा रही हैं. उनका कहना है कि हद तो तब हो गई जब खुद मित्तल साब विषधर की सलाह के लिए ये अति गोपनीय फाइलें ले जाकर स्वयं विषधर को बंगले पर दिखा रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि इस बात की चर्चा तो काफी हो रही थी मगर इसकी पुष्टि तब हो गई जब विषधर ने एस. पी. मार्ग रेलवे आफिसर कालोनी में वी. एन. त्रिपाठी को आवंटित हुए बंगले को उन्हें ठेंगा दिखाते हुए अपने नाम आवंटित करा लिया.
सूत्रों का यह भी कहना है कि मित्तल की मज़बूरी यह है कि मंत्री और सारे संत्री उनके खिलाफ हैं और बोर्ड मेम्बर भी फ़िलहाल उन्हें कोई भाव नहीं दे रहे हैं.. यहीं पर विषधर ने अपना दांव खेला है तथा मित्तल की इस असुरक्षा की भावना और हडबडाहट का पूरा फायदा उठाते हुए यह प्रचार कर दिया कि वह किसी भी तरह मैनेज करके हाई पावर कमेटी (एचपीसी) में आ जाएँगे और तब मित्तल को हर कदम पर ऊँगली पकड़कर चलेंगे..! सूत्रों का कहना है कि यदि ऐसा हो जाता है तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि विषधर अपनी तिकड़म से कब क्या मैनेज कर लेंगे, पहले से कोई इसका अंदाज नहीं लगा सकता है.
सूत्रों का यह भी कहना है कि विषधर ने मित्तल को यह भी सलाह दी है कि मेम्बर टैफिक की पोस्ट को फ़िलहाल खाली ही रखा जाए. सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे विषधर की मंशा यह है कि रिटायर्मेंट के बाद वह एचपीसी सहित सीआरबी और एमटी के पदों को भी चलाएँ..? इस बारे में पढ़ें www.railsamachar.com पर "नहीं हो सका बोर्ड मेम्बेर्स की नियुक्ति का फैसला"'रेलवे समाचार' का current issue.
सूत्रों द्वारा बताए गए उपरोक्त तमाम तथ्य यदि सही हैं तो 'रेलवे समाचार' की सलाह यह है कि श्री विनय मित्तल समय रहते विषधर उर्फ़ शकुनि की चाल को ठीक से और ध्यान लगाकर समझें और उनसे पर्याप्त दुरी बनाकर रखें, क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि विषधर के प्रति अपना आभार व्यक्त करने के चक्कर में उनकी लुटिया ही डूब जाए..!!
इस सलाह को श्री मित्तल कुछ इस तरह से समझ सकते हैं..
"डूबने वालों को साहिल से दिया जो मैंने हाथ...!
वो मुझे भी डूबने का मशवरा देने लगे...!!"
निडर नाविक...
रेलवे बोर्ड और अन्य जोनल रेलों के उन रेल अधिकारियों को समर्पित, जो चापलूसी और चमचागीरी में लिप्त हैं...
उम्र बीती है चमचागीरी में,
जिंदगी भर सलाम की खाई...!
प्रस्तुति : सुरेश त्रिपाठी
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