Saturday, June 11, 2011


दीपक कृष्ण को चार्जशीट ?
 
विवेक सहाय एंड कंपनी की एक और करतूत

नई दिल्ली : आजकल दक्षिण रेलवे के महाप्रबंधक श्री दीपक कृष्ण को मेजर पेनाल्टी चार्जशीट दिए जाने की खबर (अफवाह) रेलवे के अपर सर्कल में तेजी से घूम रही है. हालांकि जब 'रेलवे समाचार' ने अपने सूत्रों से इस खबर की पुष्टि की तो पता चला कि यह खबर पूरी तरह से सच नहीं है. सूत्रों के अनुसार श्री दीपक कृष्ण को एक बहुत पुराने मामले में 'एडवाइस' की गई है कि उक्त मामले में उनके द्वारा दिए गए जवाब से प्रशासन संतुष्ट नहीं है. बताया जाता है कि श्री दीपक कृष्ण के खिलाफ ये विजिलेंस मामला करीब १० साल पुराना है. सूत्रों का यह भी कहना है कि इस मामले को रेलवे बोर्ड विजिलेंस द्वारा सीवीसी की एडवाइस पर बहुत पहले बंद किया जा चुका है. तथापि सूत्रों का कहना है कि अब इतने साल बाद यह मामला विवेक सहाय एंड कंपनी द्वारा इसलिए फिर से खोला गया है कि जिससे श्री दीपक कृष्ण सीआरबी की रेस में न आ सकें. 

सूत्रों का कहना है की जहाँ एक तरफ चार-चार मामले सीवीसी/सीबीआई में लंबित रहने के बावजूद खुद विवेक सहाय तमाम मेनिपुलेशन करके मेम्बर ट्रैफिक और सीआरबी बनने में कामयाब रहे वहीँ श्री दीपक कृष्ण जैसे निहायत ईमानदार वरिष्ठ रेल अधिकारी को वे सीआरबी के पैनल से भी बाहर करना चाहते हैं. सूत्रों का कहना है कि श्री दीपक कृष्ण ने इस अन्याय और जोड़-तोड़ के खिलाफ अब पूरी ताकत से लड़ने का मन बना लिया है जिससे तमाम रेल अधिकारी भी उत्साहित होकर उनका साथ देने के लिए तैयार हैं. इन अधिकारियों में सिर्फ इंजीनियरिंग के ही नहीं बल्कि अन्य सभी कैडर के अधिकारी भी शामिल हो गए हैं. इन अधिकारियों का कहना है कि वे तो श्री कुलदीप चतुर्वेदी का भी साथ देना चाहते थे मगर श्री चतुर्वेदी ने खुद से आगे बढ़कर इस अन्याय का विरोध नहीं किया, इसलिए उन्हें मज़बूरीवश तटस्थ रहना पड़ा था. 

उनका कहना था की यदि श्री दीपक कृष्ण भी इससे पहले उनके साथ हुए अन्याय के खिलाफ उठ खड़े हुए होते तो तब भी तमाम अधिकारीगण उनका साथ देते. उनका कहना है कि 'बस अब बहुत हो चुका, अब और नहीं, अब और ज्यादा अन्याय को कतई बर्दास्त नहीं किया जायेगा.' सूत्रों का कहना है कि हालांकि जो मामला बहुत पहले दफ़न हो चुका है वह ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएगा, तथापि इस मामले को बिना कोई देरी किए अविलम्ब प्रधानमंत्री और पीएमओ के संज्ञान में लाया जा रहा है, जिससे जाते-जाते विवेक सहाय एंड कंपनी की एक और करतूत एवं जोड़-तोड़ को सार्वजनिक संज्ञान में लाया जा सके.

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