और तीन जीएम का प्रस्ताव भेजा
गया, एफसी के प्रस्ताव पर विवाद
दक्षिण पश्चिम रेलवे/हुबली, डीएलडब्ल्यू /वाराणसी और सीएलडब्ल्यू /चितरंजन के जीएम का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड द्वारा भेज दिया गया है. परन्तु करीब एक महीना होने जा रहा है, इस प्रस्ताव का कोई अता-पता नहीं है. पता चला है कि यह प्रस्ताव कैबिनेट सेक्रेटरी के पास पड़ा है, क्योंकि इस पर विवाद है कि श्री राधेश्याम को ओपन लाइन के बजाय प्रोडक्शन यूनिट में क्यों भेजा जा रहा है, जबकि वह एमई पद के भावी उम्मीदवार हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार जीएम/द.प.रे. के लिए श्री ए. के. मित्तल, जीएम/डीएलडब्ल्यू के लिए श्री बी. पी. खरे और जीएम/सीएलडब्ल्यू के लिए श्री राधेश्याम के नाम का प्रस्ताव किया गया है. उल्लेखनीय है कि स्टोर सर्विस के श्री मित्तल 31 जुलाई 2016 को रिटायर होंगे और अगर उनकी किस्मत ने उनका साथ दिया, तो सीआरबी पद पर मित्तल को मित्तल ही रिप्लेस कर सकते हैं. उधर आश्चर्य की बात यह है कि 30 नवम्बर को खाली हो रही जीएम/सीएलडब्ल्यू की पोस्ट को तो भेजे गए प्रस्ताव में शामिल किया गया, परन्तु इसी समय एफसी पद पर पदस्थ होने के बाद खाली होने वाली एक और जीएम की पोस्ट को इस प्रस्ताव में शामिल क्यों नहीं किया गया, यह लोगों की समझ में नहीं आया है. मगर इससे ऐसा लगता है कि फ्यूचर एमई बनने की कोशिशें अभी से शुरू हो गई हैं. इसके अलावा एफसी के लिए भेजे गए प्रस्ताव में जीएम/एनएफआर कंस्ट्रक्शन श्रीमती विजयाकांत और जीएम/आईसीएफ श्री अभय खन्ना के नाम भेजे गए हैं. परन्तु हमारे विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि श्रीमती विजयाकांत का नाम श्री अभय खन्ना से एक पैनल जूनियर होने के बावजूद प्रस्ताव में न सिर्फ ऊपर है, बल्कि उन्हीं के नाम की सिफारिश भी मंत्री द्वारा की गई है. पता चला है कि श्री खन्ना ने इस पर अपना ज्ञापन यह कहते हुए प्रधानमंत्री को सौंपा है कि एफसी पर ऐसा कोई क्रायटेरिया लागू नहीं है, इसके अलावा वह श्रीमती विजायाकांत से एक पैनल (2009-10) सीनियर हैं और उनकी सीनियारिटी खुद प्रधानमंत्री ने ही सुनिश्चित की है. ऐसे में उन्हें एफसी पद से वंचित नहीं किया जाना चाहिए.
प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 नवम्बर को श्रीमती पम्पा बब्बर के रिटायर होने और श्री खन्ना के ज्ञापन के बाद विवाद हो जाने पर एएम/फाइनेंस श्रीमती दीपाली खन्ना को अगले तीन महीने के लिए एफसी पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया गया है. बताते हैं कि यह आदेश 30 नवम्बर को ही निकाल दिया गया था. इसका मतलब यह है कि बोर्ड को उपरोक्त दोनों अधिकारियों को एफसी बनाना ही नहीं था, यह पहले से ही तय था. बोर्ड के इस चालाकी भरे निर्णय से श्रीमती दीपाली खन्ना के लिए तो न सिर्फ बिल्ली के भाग्य से छींका टुटा, बल्कि दो की लड़ाई में तीसरे का फायदा, वाली दो-दो कहावतें चरितार्थ हुई हैं. उल्लेखनीय है कि इस दौरान रेल बजट का सारा काम पूरा कर लिया जाएगा, और उसके बाद उन्हें उनकी पुरानी जगह दिखा दी जाएगी, शायद ऐसा नहीं होगा.. यह कहना है हमारे सूत्रों का. क्योंकि उनका यह फायदा उनके अक्तूबर 2012 में रिटायर्मेंट तक भी जारी रह सकता है. तथापि पीएम और पीएमओ को ब्लैकमेल करके उनसे अपने मन-मुताबिक निर्णय करा लेने की ममता बनर्जी की जैसी ख्याति बन गई है, उसे देखते हुए यदि इस बार भी वह पीएम से श्रीमती विजयाकांत के पक्ष में निर्णय करा लें, तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. आखिर उनके मंत्री ने श्रीमती विजयाकांत के नाम की ही सिफारिश की है, जो कि जून 2013 में रिटायर होंगी.
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