राधेश्याम के साथ अन्याय,
एफसी और तीन जीएम की पोस्टिंग
क्या होगा हाई लेवल सेफ्टी
रिव्यू कमेटी की सिफारिश का..?
नयी दिल्ली : सोमवार, 26 दिसंबर को रेलवे बोर्ड ने तीन जीएम और एफसी की पोस्टिंग के आर्डर जारी कर दिए. इसके अनुसार एक बार फिर रेलवे बोर्ड के बाबुओं और कुछ निहितस्वार्थी तत्वों ने अपनी मनमानी कर ली है. जहाँ श्री अभय खन्ना के दावे को दरकिनार करके जीएम/एनएफआर/कंस्ट्रक्शन सुश्री विजयाकांत को फाइनेंस कमिश्नर/रेलवेज (एफसी/रेलवेज) बना दिया गया है, वहीँ मुख्य प्रशासनिक अधिकारी/निर्माण/उ.रे. (सीएओ/सी/उ.रे.) रहे श्री राधेश्याम (आईआरएसई) को ओपन लाइन, दक्षिण पश्चिम रेलवे, हुबली, में भेजे जाने के बजाय प्रोडक्शन यूनिट, चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्ल्यू), का महाप्रबंधक (जीएम) बनाकर भेज दिया गया है. जबकि स्टोर ऑफिसर श्री ए. के. मित्तल (आईआरएसएस) को ओपन लाइन, दक्षिण पश्चिम रेलवे, हुबली, का जीएम बनाया गया है और प्रधान मुख्य अभियंता (पीसीई) दक्षिण पूर्व रेलवे. रहे श्री बी. पी. खरे (आईआरएसई) को बतौर जीएम डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (डीएलडब्ल्यू) भेजा गया है.
रेलवे बोर्ड पूर्व की तमाम सेफ्टी कमेटियों की सिफारिशों को अबतक लगातार नजरअंदाज करता आया है, और अब उसने 5 दिसंबर को हुई वर्तमान हाई लेवल सेफ्टी रिव्यू कमेटी की मीटिंग के एजेंडा आइटम नंबर-9 को भी सिरे से अनदेखा कर दिया है. 'रेलवे समाचार' को प्राप्त हुए वर्तमान हाई लेवल सेफ्टी रिव्यू कमेटी की मीटिंग के एजेंडा और मिनिट्स के अनुसार कमेटी के एजेंडा आइटम नंबर-9 में स्पष्ट कहा गया है कि - "वर्तमान व्यवस्था में डीआरएम और जीएम जैसी पोस्टों को सभी विभागों के लिए खोल दिया गया है, जिन्हें न तो संरक्षा सम्बन्धी ट्रेन आपरेशंस का कोई अनुभव होता है, और न ही उनकी ऐसी कोई पृष्ठभूमि होती है. इससे रेलों की संरक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है. जैसे पहले की व्यवस्था में इन पोस्टों पर सिर्फ तकनीकी और आपरेटिंग अधिकारियों को ही पदस्थ किया जाता था, उसे ही पुनः स्थापित किए जाने की जरूरत है..!" Agenda item-9.. "The present system of general posts like DRMs and GMs being thrown up to all departments who have no background or exposure in Safety-Related Train Operations has undermined safety in the Railways. The earlier system of only Operating and Technical Officers being considered for such posts need to be restored."
रेलवे बोर्ड ने उपरोक्त आइटम अथवा सिफारिश को पूरी तरह नजरअंदाज किया है और मित्तल ने मित्तल को फेवर किया है तथा सेक्रेटरी रेलवे बोर्ड ने अपने स्वार्थ के लिए श्री राधेश्याम को प्रोडक्शन यूनिट में धकेल दिया है. वरना कोई कारण नहीं था कि सीनियर होने के बावजूद उन्हें ओपन लाइन के बजाय प्रोडक्शन यूनिट में भेजा जाता. अगर ऐसा नहीं था, तो इसी प्रस्ताव के साथ जीएम/एनएफआर/कंस्ट्रक्शन और जीएम/उ.रे. की पोस्टों को भी क्यों नहीं शामिल किया गया? मंत्री का आशीर्वाद प्राप्त सेक्रेटरी रेलवे बोर्ड अपनी जुगाड़ में हैं, और अब वह श्री राधेश्याम से जूनियर होते हुए भी ओपन लाइन में उ. रे. के जीएम बनकर बैठना चाहते हैं. जबकि उनसे सीनियर श्री राधेश्याम सिविल इंजीनियर होते हुए भी प्रोडक्शन यूनिट, वह भी विद्युत इंजन बनाने वाली यूनिट, में बिजली के तार जोड़ते बैठेंगे. उधर तमाम सेफ्टी कमेटियों की सिफारिशों और भारतीय रेल की सेफ्टी रसातल में पहुँच जाने को नजरअंदाज करते हुए सीआरबी ने अपने 'बिरादरी भाई' श्री ए. के. मित्तल को ओपन लाइन का जीएम बनाकर अपने बड़े भाई महातिकड़मी पूर्व सीआरबी द्वारा चलाए गए 'बिरादरीवाद' की परंपरा को ही आगे बढ़ाया है.
इस तरह वरिष्ठ, अनुभवी और योग्य मानव संसाधन को सत्ता द्वारा पुरस्कृत रेलवे बोर्ड के बाबू लोग उर्फ़ नौकरशाह अपने निहितस्वार्थों के चलते बरबाद कर रहे हैं, और इस तरह वह नीचे तक एक गलत सन्देश भेजकर तमाम रेल अधिकारियों और कर्मचारियों में न सिर्फ हीनभावना तथा अवसाद की स्थिति पैदा कर रहे हैं, बल्कि उनमें बिना काम किए सिर्फ तिकड़म और जोड़तोड़ करके पद और पदोन्नति हासिल करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा भी दे रहे हैं...!!
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