ट्रैफिक कैडर में वरिष्ठों की अनदेखी..
मुंबई : भारतीय रेल के ट्रैफिक अधिकारियों में भारी असंतोष व्याप्त है. यहाँ वरिष्ठ ट्रैफिक अधिकारियों को अनदेखा करके कनिष्ठ अधिकारियों को विभाग प्रमुख के पदों पर बैठाया जा रहा है. जिस प्रकार कई रेलों में मुख्य परिचालन प्रबंधक (सीओएम) के पदों पर सीनियर ट्रैफिक अधिकारियों को दरकिनार करके उनसे जूनियर ट्रैफिक अधिकारियों को पदस्थ करने में वरीयता दी गई है, उसी प्रकार मुख्य वाणिज्य प्रबंधक (सीसीएम) के पदों पर भी यही प्रक्रिया अपनाई जा रही है. प्राप्त जानकारी के अनुसार कई रेलों में वरिष्ठ और कार्यक्षम ट्रैफिक अधिकारियों को नजरअंदाज करके अपेक्षाकृत अकार्यक्षम और भ्रष्ट, मगर चापलूस, ट्रैफिक अधिकारियों को सीओएम के पदों पर बैठाने में वरीयता दी गई है. बताते हैं कि अब यही प्रक्रिया सीसीएम के पदों पर भी अपनाई जा रही है. हालात यह हैं कि वरिष्ठ ट्रैफिक अधिकारी उपलब्ध होने और यहाँ तक कि सरप्लस होने के बावजूद सीओएम के पद पर बैठाए गए जूनियर ट्रैफिक अधिकारी को ही सीसीएम का भी अतिरिक्त कार्यभार सौंप कर रखा गया है. रेलवे बोर्ड के हमारे विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि इस मामले में सीआरबी के सामने एमटी की नहीं चल पा रही है. सूत्रों का कहना है कि एमटी एक सीधे-सादे अधिकारी हैं, इसलिए वह सीआरबी से इस बारे में कुछ बोल नहीं पा रहे हैं. जबकि सीआरबी अपने फेवरिट और चापलूस अधिकारियों का पूरा फेवर कर रहे हैं. यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि एमटी की पोस्टिंग से मात्र एक हफ्ता पहले सीआरबी ने कई जोनो में अपने कई फेवरिट मगर जूनियर ट्रैफिक अधिकारियों को सीओएम और सीसीएम बनाकर बैठा दिया था. सूत्रों का कहना है कि रेलवे पर प्राइवेट और पीएफटी साइडिंग बनाने का जबरदस्त दबाव है, इसलिए जहाँ पर्याप्त लाइन क्षमता नहीं है, इसके बावजूद वहां भी धडाधड फाइल क्लियर की जा रही हैं. सूत्रों का कहना है कि इस 'फास्ट फाइल क्लियरिंग' के पीछे इन ट्रैफिक अधिकारियों का भी अपना निहित उद्देश्य है. उनका कहना है कि इसीलिए तो वहां 'उस टाइप' के अधिकारियों को एमटी की पोस्टिंग होने से पहले ही पदस्थ कर दिया गया था. सूत्रों का यह भी कहना है कि वर्तमान एमटी के आने से पहले ही रेलवे बोर्ड में भी कुछ जूनियर ट्रैफिक अधिकारियों को पदस्थ किया गया. यहाँ तक कि लम्बे समय से रेलवे बोर्ड में एक 'कलेक्शन सेंटर' बन गए एक जूनियर ट्रैफिक अधिकारी का कार्यकाल रेलवे बोर्ड में करीब 6 साल पूरा हो जाने के बाद भी सीआरबी ने उसे और दो साल का एक्सटेंशन (अपने कार्यकाल तक) इसलिए दे दिया है, क्योंकि डीआरएम में कार्यकाल के समय यह अधिकारी उनका सीनियर डीएसओ हुआ करता था. क्रमशः
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