Monday, October 3, 2011


पीआईएल की सुनवाई अब 2 नवम्बर को 

इस मामले में क्यों नहीं लागू होगा को-वारंटो -हाई कोर्ट 

नई दिल्ली : 'रेलवे समाचार' द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट में पूर्व सीआरबी विवेक सहाय की नियुक्ति के खिलाफ दाखिल की गई जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई अब 2 नवम्बर को होगी. 28 सितम्बर की पिछली तारीख में एक बार फिर रेलवे के वकील पूरी तैयारी के साथ नहीं आए थे और न ही सीवीसी और पीएमओ तथा डीओपीटी ने अब तक अपने जवाब कोर्ट में दाखिल किए हैं. इसलिए माननीय जजों ने वादी सुरेश त्रिपाठी के वकील श्री राजेश टिक्कू के इस पर सवाल उठाए जाने पर नाराजगी जताते हुए उन्हें अपने जवाब अगली तारीख से पहले कोर्ट में दाखिल करने और इस मामले में को-वारंटो क्यों नहीं लागू हो सकता, इस पर कोर्ट को संतुष्ट करने का आदेश रेलवे के वकीलों को दिया है. मुख्य न्यायाधीश श्री दीपक मिश्र और न्यायाधीश श्री संजीव खन्ना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के अनुसार यह मामला भी को-वारंटो, रिटायर्मेंट के बाद भी नियुक्ति ख़ारिज हो जाने, का है. इस पर रेलवे के वकील श्री वेंकटरमणी ने कहा कि यह मामला को-वारंटो का नहीं है, तब विद्वान न्यायाधीशों ने कहा कि अगली तारीख में वह कोर्ट को संतुष्ट करें और यह भी स्पष्ट करें कि इस मामले में को-वारंटो क्यों नहीं लागू हो सकता है. 

पता चला है कि श्री सहाय इस मामले के चलते काफी परेशान हैं, क्योंकि उन्हें यह कहते सुना गया है कि 'इस मामले के कारण वह रिटायर्मेंट के बाद कहीं नौकरी ज्वाइन कर पा रहे हैं.' बताने वालों ने यह भी बताया कि 'श्री सहाय चाहते हैं कि ये मामला जल्दी निपट जाए, तो वह कहीं नौकरी ज्वाइन करें और मुंबई शिफ्ट हो जाएं.' यह खबर बताने वालों का कहना था कि श्री सहाय को अब मामले की गंभीरता समझ में आ रही है, क्योंकि अब तक वह यही समझ रहे थे कि मामला एक-दो पेशी में ही निपट जाएगा. सीवीसी, पीएमओ और डीओपीटी ने भी शायद ऐसा ही मानकर अब तक अपने जवाब दाखिल नहीं किए हैं. परन्तु अब जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ रहा है, उनकी चिंता भी बढती जा रही है. बहरहाल, यहाँ यह स्पष्ट करना जरूरी है कि यह कानूनी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि सिद्धांत की लड़ाई है, और अब जब मामला अदालत के विचाराधीन है, तो वादी को पूरा भरोसा है कि अदालत से पूरा न्याय होगा. 

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